Superstition is most dangerous for life and future
अंधविश्वास समाज की ऐसी भावना जो समाज को समय से बहुत पीछे ले जाती है !
Most Dangerous for Life and Future
पर लोग मानते नहीं !
इससे पैसे का विनाश,
समय का विनाश बहुत अधिक होता है !
ऐसे में हमें अंधविश्वास से बचना चाहिए !
आपके कर्म ही आपका भाग्य होते हैं !
अंधविश्वास से सत्यानाश
किसी मजार पर एक फकीर रहते थे ।
सैकड़ों भक्त उस मजार पर आकार रुपए आदि चढ़ते थे ।
उन भक्तों में एक बंजारा भी था ।
बहुत निर्धन होने पर भी वह प्रतिदिन मजार पर माथा टेकता
व फकीर की सेवा करता । उसका कपड़े का व्यवसाय था ।
कपड़ों की भारी पोटली लिए सुबह से शाम तक गलियों में फेरी लगाता ।
एक दिन फकीर ने दया करके अपना गधा बंजारे को दे दिया ।
सारे कपड़े गधे पर लादता व थकने पर आप भी गधे पर बैठ जाता ।
कुछ महीनों बाद गधा मर गया ।
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बंजारा बहुत दुखी हुआ ।
उसने गधे को उचित स्थान पर दफनाया व उसकी कब्र बना दी ।
समीप से जा रहे किसी व्यक्ति ने बंजारे को अपना दुखड़ा गधे की कब्र पर रोते देख सोचा कि जरूर यह किसी संत की मजार है ।
उस व्यक्ति ने मजार पर माथा टेका
और अपनी मन्नत हेतु प्रार्थना करके कुछ पैसे चढ़ाकर चला गया ।
कुछ दिनों के बाद उस व्यक्ति की कामना पूर्ण हो गयी ।
उसने खुशी के मारे सारे क्षेत्र में डंका बजवाया कि
अमुक स्थान पर एक पहुंचे हुए फकीर की मजार है ।
वहाँ जाकर मन्नत मांगने से जरूर कामना पूर्ण होती है ।
उसी दिन से भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया ।
लोग भेड़-चाल में हो लिए एक की पीछे एक ।
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बंजारे की चाँदी हो गयी ,
बैठे-बैठे कमाई का साधन मिल गया।
एक दिन वहीं फकीर जिसने बंजारे को वह गधा दिया था
वहाँ से गुजर रहा था ।
देखते ही बंजारे ने पैर पकड़ लिए और बोला ,
“आपके गधे ने तो मेरी जिंदगी बना दी ।
जब तक जीवित था तब तक मेरे रोजगार में मेरी मदद करता था
और मरने के बाद मेरी जीविका का साधन बन गया।”
फकीर हँसता हुआ बोला ,
“बच्चा ! जिस मजार पर तू नित्य माथा टेकने आता था
वह मजार इस गधे की माँ की थी।”
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शिक्षा :- इन अंधविश्वासों के कारण आज आर्यावर्त राष्ट्र घोर पतन को प्राप्त हो चुका है । हत्या , बलात्कार , अनाचार-व्यभिचार , नशा , चोरी , झूठ , भ्रष्टाचार , आतंकवाद आदि का बोलबाला है । इन सबका समाधान सत्य-सनातन वैदिक धर्म ही है जिसको सारे संसार को अपनाना होगा जो न सिर्फ मनुष्य बल्कि प्राणी-मात्र के सुख का साधन है ।
Post Credit :- http://www.vedicpress.com/